“अबीर”
21 जुलाई, 2012
रोम रोम में खुशियाँ अनगिन
चहुँ ओर बसी बासंती हरियाली
उष्ण धरा पर बारिश रुनझुन,
कौन है तू ,
प्यासी धरती के काले मेघ,
छाया झुर्रियों की पड़ती देख,
तूने आशाएं इस तरह बढ़ा दी
भूलने लगा यम विधि के लेख
कौन है तू
ऐसे उठ गए दुआ में हाथ
तेरा सौवां जन्म दिवस भी
काँधे चढ, मनाऊ तेरे साथ
कौन है तू
खुशियों के खूब ढोल बजाये
पर दुःख तो अब वहीँ विराजित
मेरे दुःख खुद के तन चिपकाये
कौन है तू
आ आगोश में, तुझे सहलाऊँ
कहीं दूर से, पूनम का चाँद
ला, आँगन चांदी सा चमकाऊं
मेरा चाँद है तू,