Friday, July 20, 2012


अबीर” 
21 जुलाई, 2012

मेरे हर्षित हर पल हर दिन,    
रोम रोम में खुशियाँ अनगिन
चहुँ ओर बसी बासंती हरियाली
उष्ण धरा पर बारिश रुनझुन,
कौन है तू ,            

 
प्यासी धरती के  काले मेघ,   
छाया झुर्रियों की पड़ती  देख,
तूने आशाएं इस तरह बढ़ा दी
भूलने लगा यम विधि के लेख 
कौन है तू

दूसरा जन्म दिन साथ मनाते   
ऐसे उठ गए  दुआ में हाथ
तेरा सौवां जन्म दिवस  भी
काँधे चढ, मनाऊ  तेरे साथ
कौन है तू

मिटा  कर मेरी सारी चिंताएं,   
खुशियों के खूब ढोल बजाये
पर दुःख तो अब वहीँ विराजित 
मेरे दुःख खुद के तन चिपकाये
कौन है तू

आ आगोश में, तुझे सहलाऊँ    
खेल खिलौनो से मन बहलाऊँ
कहीं दूर से, पूनम  का  चाँद
ला, आँगन चांदी सा चमकाऊं
मेरा चाँद है तू,

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