Thursday, June 16, 2011

सावन

मैं सावन हूँ........
सतरंगी इन्द्रधनुष मुझमे, रंग बिरंगे बादल,
बादल की आग भी मुझमे और छिपा शीतल जल


मैं सावन हूँ........
मुझसे ही है अतिवृष्टि, मेरी अनुपस्थिति अनावृष्टि,
फिर भी मेरी ही पूजा करती आई है ये सृष्टि


मुझे निहारता कृषक जीवन और पुकारते हैं मयूर
मैं गरजता भीषणता से और बजाता रिमझिम नुपुर


नही  मोह मुझे पैसों का न है मोह शासन का
मैं हूँ राजा  और रंक ,  प्रेम के प्रशासन  का




मैं ही लगाता आग प्रीत की,दो बिछुडे प्रीतम में
मैं ही संगीत बजाता हूँ उनके प्रज्वलित मन में


मैं सावन हूँ........
हेम रंग सी मेरी प्रेयसी , हेमलता सी कोमल
ऐसे डोल रही मन में मेरे, जैसे डोले बादल


मेरी मैं में अहंकार नहीं है बस जीवन का परिचय
चाहे इसकी हंसी उड़ा लो ,चाहे करलो इसका संचय


मैं सावन हूँ........


                                                 कृ.प.उ.
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