आवारा कुत्ते पालने की प्रवृति,
हमारी सभ्यता की प्रगति
परोपकारिता की उलटी गति
नमो: नमो:
२.
उमड़ रहे दल बादल से
दल के दल
हर नुक्कड़ पर,
हर गलिओं में
भौं भौं करते आवारा कुत्ते,
पड़ोस की गली की कुतिया
आ गयी है इस गली में---
गुर्राहट, डर
दृश्य सभी हैं एक साथ
मनोरंजन
बिना मनोरंजन कर
उन्हें देख
सास सीख रही बहू पे गुर्राना ,
बहू सहमे सहमे भी विरोध दोहराना ,
बच्चों को तो आनंद हिंसा का ,
बड़ों को गर्व दयालुता अहिंसा का
बनाके कुत्तों के दलदल ,
मानवता से हो रहा छल,
नहीं सूझता जिसका हल,
कुत्तों के दल बादल से
दल के दल .
३.
कहते हैं कुत्ते वफादार होते हैं
अपने मालिक का हुक्म बजाने को
दुम हिलाते सदा तैयार होते हैं
कुत्तों की भीड़ में लेकिन
मैंने नहीं देखा यहाँ
एक भी वफादार कुत्ता,
बल्कि ,
अपने ही मालिक की टांग खींचने को तैयार कुत्ता,
हाँ , यहाँ की ऑफिसों की भीड़ में
बहुत देखे हैं मैंने
वफादार आदमी
अफसर का हुक्म बजाने को
दिन रात तैयार आदमी,
(जिन्हें आप चमचा कहते हैं)
तब लगता है
हमारी सभ्यता प्रगति कर रही है,
अपने गुण
कुत्तों को देकर
कुत्तों को अपने में भर रही है.
४.
भला कौन कहता है
हमने सेक्स को जीवन में टाला है
श्रीमान जी पता नहीं क्या
हमने कुत्तों को क्यों पाला है
हर गली में हम स्पष्ट
वासना की अभिव्यक्ति का प्रदर्शन करते हैं
बड़ों को छोडो हम तो,
माँ के पेट में भी बच्चों का मनोरंजन करते हैं
एक कुतिया पर पांच पांच
महापराक्रमी लट्टू से फिरते हैं
सेक्स की अदा को कहने सुनने से
हमारे बच्चे भी कहाँ डरते हैं
हम जनसँख्या की भीड़
किससे बनाना सीखे हैं
क्या कुत्तों सी बोलती बोलते
किसी को नहीं दीखे हैं.
हमारी सभ्यता की प्रगति
परोपकारिता की उलटी गति
नमो: नमो:
२.
उमड़ रहे दल बादल से
दल के दल
हर नुक्कड़ पर,
हर गलिओं में
भौं भौं करते आवारा कुत्ते,
पड़ोस की गली की कुतिया
आ गयी है इस गली में---
गुर्राहट, डर
दृश्य सभी हैं एक साथ
मनोरंजन
बिना मनोरंजन कर
उन्हें देख
सास सीख रही बहू पे गुर्राना ,
बहू सहमे सहमे भी विरोध दोहराना ,
बच्चों को तो आनंद हिंसा का ,
बड़ों को गर्व दयालुता अहिंसा का
बनाके कुत्तों के दलदल ,
मानवता से हो रहा छल,
नहीं सूझता जिसका हल,
कुत्तों के दल बादल से
दल के दल .
३.
कहते हैं कुत्ते वफादार होते हैं
अपने मालिक का हुक्म बजाने को
दुम हिलाते सदा तैयार होते हैं
कुत्तों की भीड़ में लेकिन
मैंने नहीं देखा यहाँ
एक भी वफादार कुत्ता,
बल्कि ,
अपने ही मालिक की टांग खींचने को तैयार कुत्ता,
हाँ , यहाँ की ऑफिसों की भीड़ में
बहुत देखे हैं मैंने
वफादार आदमी
अफसर का हुक्म बजाने को
दिन रात तैयार आदमी,
(जिन्हें आप चमचा कहते हैं)
तब लगता है
हमारी सभ्यता प्रगति कर रही है,
अपने गुण
कुत्तों को देकर
कुत्तों को अपने में भर रही है.
४.
भला कौन कहता है
हमने सेक्स को जीवन में टाला है
श्रीमान जी पता नहीं क्या
हमने कुत्तों को क्यों पाला है
हर गली में हम स्पष्ट
वासना की अभिव्यक्ति का प्रदर्शन करते हैं
बड़ों को छोडो हम तो,
माँ के पेट में भी बच्चों का मनोरंजन करते हैं
एक कुतिया पर पांच पांच
महापराक्रमी लट्टू से फिरते हैं
सेक्स की अदा को कहने सुनने से
हमारे बच्चे भी कहाँ डरते हैं
हम जनसँख्या की भीड़
किससे बनाना सीखे हैं
क्या कुत्तों सी बोलती बोलते
किसी को नहीं दीखे हैं.
५.
इमरजेंसी में ऊपर से
ऊपर का मतलब महाभारत के संजय से
फरमान आया था
महंगाई बढ़ गयी है
क्योंकि कुत्तों की भीड़ बढ़ गयी है .
उन सबका ओपरेशन करवा दो
चारों और से घेर लो उन्हें
जो न माने उन्हें अंदर धरवा दो .
फाइल वह हाथ लग गयी कुत्तों के
जो फाइल नहीं खोलते ,रंग देखते थे गत्तों के
चतुर हमारा अधिकारी वर्ग
जिनपर इमरजंसी का था भूत सवार
हर आदमी कुत्ता नज़र आने लगा,
जो न था चमचा ,उन्हें लगा खूंखार ,
कुत्ते हर और बढ़ने लगे ,
आदमी के कंधे से ,
ऊंट पर चढ़ने लगे ,
घेर लिया चारों ओर से आदमी को
भीड़ को उन्होंने कर दिया है कम
ढेर से कुत्तों का ,मैं क्यों करूँ गम .
कृ.प.उ.
नीचे "ओल्डर पोस्ट" पर क्लिक
कृ.प.उ.
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Amazing Satire...loved it!!!
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