अभी अभी कागा बोला है,
प्रियतम आज जरूर आयेंगे.
उदास पड़े प्रतीक्षा में व्याकुल
मन को जी भर बहलाएँगे .
आयेंगें ले खुशियों के आंसू ,
बाहें प्रेम की फैलाकर ,
और शिकायतें दूर करेंगे,
तेरी तुझको सहलाकर .
चल उठ आज घर सवांरले
ऐसे न उदास निराश बैठ
समय गुजरता जा रहा है
काज निपटा,आ खिडकी बैठ
घर धोले, सारे धोले कपडे
शीशे सा चमका दे आँगन,
महक गुलाब की बिखरा दे
आते ही डोलउठे उनका मन.
दीप जलाकर एक प्रेम का
यों दीपावली आज मनाले ,
धीरे धीरे गुनगुन करके
खुद ही प्रेम गीत सुनाले .
क्या तू मुझको रोटी देगा
या पा प्रीतम बिसरा देगा
मस्त स्वयं तू हो जायेगा,
फिरकभी कह मुझे बहला देगा.
कृ.प.उ.
कृ.प.उ.
नीचे "ओल्डर पोस्ट" पर क्लिक
No comments:
Post a Comment