काव्य-प्रांगण
प्रेम गीत
Thursday, October 6, 2011
विरोध
मेरी पीठ की ओर
तुम्हारी आँखे थी
जिस दिशा में मेरी आँखे थी
तुमने पीठ उधर कर रखी थी
आमने सामने
हम तुम जब मिले थे
बस इतना ही अंतर था हममें
इतना सा ही विरोध.
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