Sunday, December 26, 2021


 झाँसी की रानी 

मैं भी बनू झांसी की रानी

उसके जैसा निखार मिले , उस जैसा ही चरित्र बने

क्या प्यादा और क्या वजीर ,उस जैसे ही मित्र बने

 

कर्मठता हो उस जैसी ही ,वैसा ही हो मन में साहस

मुखपर हरदम हो लालिमा , पूनम हो या हो अमावस

 

उस जैसी हो शारीरिक द्रढता मन में उसका सा स्नेह

सत्य की आग में झुलसे चाहे, ये मेरी कोमल सी देह

 

चूडियों की मधुर खनखनाहट, संगीत भरूं पूरे जीवन में

स्वंत्रता की खातिर लेकिन खड्ग करूँ कर में वहन मैं

 

मर मिटूँ देश की खातिर, विचार बने मेरे भी विस्तृत

माँ की ममता बाल अबोधता, हो सबकी सेवा का व्रत

 

प्यर करूँ एकत्र सभी का, हाथ बने मेरे भी दानी

सीता सावित्री मैत्रेयी सी ज्ञानी,मैं भी बनू झांसी की रानी।

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