मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे,
तुमसे अब तक दूरी क्यों है
मेरी प्यास अधूरी क्यों है
तुम तक रुके रुके पहुंचना
मन,हाय , ये सहता है कैसे
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे
मेरे "मौन" की मौन दास्ताँ ,
है उसका तुमही से वास्ता ,
तुमसे कहने को आकुल आतुर ,
मौन हाय! रहता है कैसे .
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे
नयन जुबां हैं मेरे "मौन" की
जिसमें केवल छवि तुम्हारी
तुम न रहे सब मिट जायेगा
घिरेगा जीवन मेरा तम से
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे.
तुमसे अब तक दूरी क्यों है
मेरी प्यास अधूरी क्यों है
तुम तक रुके रुके पहुंचना
मन,हाय , ये सहता है कैसे
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे
मेरे "मौन" की मौन दास्ताँ ,
है उसका तुमही से वास्ता ,
तुमसे कहने को आकुल आतुर ,
मौन हाय! रहता है कैसे .
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे
नयन जुबां हैं मेरे "मौन" की
जिसमें केवल छवि तुम्हारी
तुम न रहे सब मिट जायेगा
घिरेगा जीवन मेरा तम से
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे.
मैं मौन हूँ , नहीं "मौन" मेरा,
कहता अब तुम बिन कौन मेरा,
कहो न तुम भी अपने मन की ,
क्यों हो बैठे गुमसुम से,
मेरा "मौन" क्या कहता तुमसे
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