दीपक की लौ देख देख
मैंने जीवन बाती बाली
दीप भरा गया अश्रु से,
मेरी अंजुली खाली की खाली
मिला दर्द मिली आशाएं
पर न जीवन प्यार मिला
तिल तिल कर जलने का
जीवन को उपहार मिला
जग का मन रखने को
अश्कों पर मुस्काने ढाली
मेरे दर्दों से भाव खिले पर
मेरी अंजुली खाली की खाली
२.
मरीचिका को देख देख
मैंने अपनी प्यास जगा ली
मृग के नयन हुए ज्योतिर्मय
मधु रिक्त रही मेरी प्याली
दौड मिली, थकान मिली
पर न मधु इश्तिहार मिला
अथक परिश्रम का फल मुझको
मौत का इंतज़ार मिला
हर कदम पर ठोकर खाकर
नयी रचनाएँ रच डाली
जग को खूब पिलाई पर
मधु रिक्त रही मेरी प्याली
३.
गंगा की पवित्रता लेकर
पावन प्रतिमा गढ़ डाली,
सबकी अंजुली में भरी दुआएं
रीती मेरी अर्चना थाली
बहाव मिला ,भटकाव मिला,
लेकिन न जीवन प्राण मिला,
दिल जलाया मैने मंदिर में
अँधेरा मुझे प्रतिदान मिला
जीवन का कटु सत्य जानकर ,
काँटों पर मैंने सेज सजाली,
सबकी गोद भरी गुलाबों ने,
मेरी गोद खाली की खाली
४.
सबके आँगन दीप जले ,
सबके खेतों में हरियाली,
मुझसे किस्मत ऐसे रूठी ,
मेरे घर न आई दिवाली ,
निर्धन को मैंने प्यार दिया
पीडाओं को गले लगाया
अंधियारे को दी रौशनी ,
थके पथिक को दी छाया
सबके उपवन फूल खिले ,
आई बहारें डाली डाली,
मुझसे किस्मत ऐसे रूठी ,
कृ.प.उ.
मैंने जीवन बाती बाली
दीप भरा गया अश्रु से,
मेरी अंजुली खाली की खाली
मिला दर्द मिली आशाएं
पर न जीवन प्यार मिला
तिल तिल कर जलने का
जीवन को उपहार मिला
जग का मन रखने को
अश्कों पर मुस्काने ढाली
मेरे दर्दों से भाव खिले पर
मेरी अंजुली खाली की खाली
२.
मरीचिका को देख देख
मैंने अपनी प्यास जगा ली
मृग के नयन हुए ज्योतिर्मय
मधु रिक्त रही मेरी प्याली
दौड मिली, थकान मिली
पर न मधु इश्तिहार मिला
अथक परिश्रम का फल मुझको
मौत का इंतज़ार मिला
हर कदम पर ठोकर खाकर
नयी रचनाएँ रच डाली
जग को खूब पिलाई पर
मधु रिक्त रही मेरी प्याली
३.
गंगा की पवित्रता लेकर
पावन प्रतिमा गढ़ डाली,
सबकी अंजुली में भरी दुआएं
रीती मेरी अर्चना थाली
बहाव मिला ,भटकाव मिला,
लेकिन न जीवन प्राण मिला,
दिल जलाया मैने मंदिर में
अँधेरा मुझे प्रतिदान मिला
जीवन का कटु सत्य जानकर ,
काँटों पर मैंने सेज सजाली,
सबकी गोद भरी गुलाबों ने,
मेरी गोद खाली की खाली
४.
सबके आँगन दीप जले ,
सबके खेतों में हरियाली,
मुझसे किस्मत ऐसे रूठी ,
मेरे घर न आई दिवाली ,
निर्धन को मैंने प्यार दिया
पीडाओं को गले लगाया
अंधियारे को दी रौशनी ,
थके पथिक को दी छाया
सबके उपवन फूल खिले ,
आई बहारें डाली डाली,
मुझसे किस्मत ऐसे रूठी ,
मेरे घर न आई दिवाली ,
कृ.प.उ.
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