एक पल
तुमसे एक पल का मिलन
सह लेगा अरसा एक जुदाई का .
स्वाति नक्षत्र की एक बूँद
चातक को ऐसा क्या दे जाती
एक बूँद अथाह सागर की
सीपी में मोती बन जाती
जीवन सारा निचोड़ लेता है
कतरा एक तन्हाई का;
दो जीवन बाँध देता है
स्वर एक शहनाई का
सारी नींद उड़ा देता है
ऐंठना एक अंगडाई का
जीवन बोझ बना जाता है
एक पल ,प्रिये ,विदाई का;
कृ.प.उ.
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कृ.प.उ.
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