आओ मंजिल तक दौड लगा लें
संकीर्णता में बंधे इस जग
के सारे विश्वाश तोड़ डालें
अपना गीत भी जोड़ डालें
आओ मंजिल तक दौड लगा लें
बहुत समय तक अश्क बहाए
अश्रु अब सारे निचोड़ डालें
जो जलन देता था अबतक
उस छाले को फोड डालें
आओ मंजिल तक दौड लगा लें
काल से विकराल बनकर
काल का भय छोड़ डालें
रुढियों की तीव्र धारा का
आओ हम रुख मोड डालें
आओ मंजिल तक दौड लगा लें
बहुत जगह रुके भटके हैं
तब जीवन में गति आई है
भटके बहुत गहन तिमिर में
तब जाकर ये द्युति पाई है
मृत्यु से पहले पाएंगे मंजिल
ऐसी मृत्यु से होड लगा लें
आओ मंजिल तक दौड लगा लें
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