थोड़ी मदिरा, ढेरों प्याले
जर्जर तन सी साकी बाले
जाम मिले हैं सारे प्यासे
किसको टालें,किसमे डालें
कैसे मौज़ मस्ती में जीना
क्या इसी को कहते जीना
पहले ही रिक्त पड़े थे प्याले
करते जीवित उर के छाले
आज करें हम स्वागत कैसे
ओ अतिथि नये आने वाले
लघु हो रहा जीवन कितना
क्या इसी को कहते जीना
खाली जेबें , सफर है लंबा
एक कमाये सौ का कुनबा
दातभात दहेज की सी रस्मे
दरिया बीच अटल है खम्बा
तंगी में ढीला पडा है सीना
क्या इसी को कहते जीना
पड़ी थी जब पैसों की ढेली,
आ बैठते सखा सहेली
आज पड़ी जब हमें जरूरत
सर चढाते ओ गंगू तेली
मुस्काकर फिर भी आदर दीना
क्या इसी को कहते जीना
बिखर गए सब साथी अपने
बनकर छोटे छोटे सपने
देश पराये प्यार नहीं है
अपने घर ही होते हैं अपने
दर पराये जाकर पीना
क्या इसी को कहते जीना
कृ.प.उ.
जर्जर तन सी साकी बाले
जाम मिले हैं सारे प्यासे
किसको टालें,किसमे डालें
कैसे मौज़ मस्ती में जीना
क्या इसी को कहते जीना
पहले ही रिक्त पड़े थे प्याले
करते जीवित उर के छाले
आज करें हम स्वागत कैसे
ओ अतिथि नये आने वाले
लघु हो रहा जीवन कितना
क्या इसी को कहते जीना
खाली जेबें , सफर है लंबा
एक कमाये सौ का कुनबा
दातभात दहेज की सी रस्मे
दरिया बीच अटल है खम्बा
तंगी में ढीला पडा है सीना
क्या इसी को कहते जीना
पड़ी थी जब पैसों की ढेली,
आ बैठते सखा सहेली
आज पड़ी जब हमें जरूरत
सर चढाते ओ गंगू तेली
मुस्काकर फिर भी आदर दीना
क्या इसी को कहते जीना
बिखर गए सब साथी अपने
बनकर छोटे छोटे सपने
देश पराये प्यार नहीं है
अपने घर ही होते हैं अपने
दर पराये जाकर पीना
क्या इसी को कहते जीना
कृ.प.उ.
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