Wednesday, July 13, 2011

प्रतीक्षा -१

कोई किरण
छू गयी
मेरे मन की दुखती रग को,
कोई शूल
दे गया वेदना
चलते चलते मेरे पग को,
कोई सांझ बना गयी बाँझ,
एकाकी सारे जग को,
कोई आशा
दे गयी प्रतीक्षा
मेरे सूने सूने द्रग को.
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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