जीवन कहाँ गुजारूं अपना
पाऊं कहाँ पर जीवन ठौर,
मरघट भी चिल्लाकर कहता
मत आना तुम मेरी ओर.
आज ढूंढते अश्क मज़ार,
मौत स्वयं ही मौत मांगती,
अभी अभी सज आई दुल्हन
आज ही अपनी सौत मांगती
मृत्यु करती हर पल क्रंदन,
धू धू कर जलता है चंदन
मेरे शव को पर कौन जलाए
जिसमे जीवित तेरी तड़पन
आज मुझे रोने दो जी भर ,
आँखे फोड आंसू पीकर ,
सर खुद के कांधे पे रखकर
आज मुझे रोने दो जी भर ...
कृ. प. उ.
(नीचे ओल्डर पोस्ट पर क्लिक)
Your best...loved the way you mixed hindi and urdu in the 2nd stanza...brilliant!
ReplyDeleteThanks Bithin. I love your taste for Hindi poetry.It is really a surprise to me.
ReplyDeleteFact is that I use my own learned-language and not the Hindi exclusively. Thanks