अब कुछ आज सुना दो साकी,
कोई भी सुर ना रह जाये बाकी,
हर बार तुम्हारे दर तक पहुंचा,
पर प्रेम गीत ना सुन पाया,
मेला लग गया आशाओं का ,
तुमने ना कोई गीत सुनाया,
ये आज न चलने दूँगा चालाकी,
अब कुछ आज सुना दो साकी.
प्याला जो तुमने थमाया हाथों में,
बेबस मैं होंठो पे लगा न पाया,
खन खन सब खनक उठेंगे प्याले,
अब तुमने जो गीत सुनाया
अब तक न सजी हों ऐसी झांकी
ऐसा कुछ आज सुना दो साकी
मैं तो मर चुका कभी का ,
शव गीतों की अर्थी पे सुलादो ,
दुनिया कब तुम्हारी बन पायी ,
दिल से दुनिया का डर भुला दो
झनक उठें पायलें अप्सरा की,
ऐसा कुछ आज सुना दो साकी.
कृ.प.उ.
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कृ.प.उ.
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